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उन्होंने कड़ी मेहनत करके, एक-दूसरे का समर्थन करके और एक-दूसरे को कभी हल्के में न लेकर उसकी स्मृति का सम्मान करने का वादा किया। और वे जानते थे कि जब तक वे उसकी आत्मा को जीवित रखेंगे, बुढ़िया सचमुच कभी नहीं जाएगी।
ऐसा कभी नहीं हुआ था... धर्मराज लाखों वर्षों से असंख्य आदमियों को कर्म और सिफ़ारिश के आधार पर स्वर्ग या नर्क में निवास-स्थान 'अलॉट' करते आ रहे थे। पर ऐसा कभी नहीं हुआ था। सामने बैठे चित्रगुप्त बार-बार चश्मा पोंछ, बार-बार थूक से पन्ने पलट, रजिस्टर हरिशंकर परसाई
इमेज कैप्शन, मंटो की इस कथा संग्रह में टोबा टेक सिंह, काली सलवार और तमाशा जैसी कई कहानियाँ संकलित हैं.
एक झोंपड़े के द्वार पर बाप और बेटा दोनों एक बुझे हुए अलाव के सामने चुपचाप बैठे हुए थे और अंदर बेटे की जवान बीवी बुधिया प्रसव-वेदना में पछाड़ खा रही थी। रह-रहकर उसके मुँह से ऐसी दिल हिला देने वाली आवाज़ निकलती थी, कि दोनों कलेजा थाम लेते थे। जाड़ों प्रेमचंद
Tabhi mummy ne apne dono hath meri or kar ke mujhe bulane lagi aur apni jeeb honthon par ghumate hue mujhe unhone aankh maari…
जब पाकिस्तान के पागल बिशन सिंह read more को उसके गांव टोबा टेक सिंह से निकाल कर हिंदुस्तान भेजा जाता है तब वह दोनों देशों की सरहद पर मर जाता है.
Mummy: ohh beta tumne to mujhe aaj jannat dikha di.. bahut waqt baad itna maja mila hai.. please aise hi karte raho mere raja…
यह क्या है? वह बोली—झलमला। मैंने फिर पूछा—इससे क्या होगा? उसने उत्तर दिया—नहीं जानते हो वाबू, आज तुम्हारी पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी
Itni madak khushbu thi wo ke usse mera josh aur badh gaya. Aur maine jhat se apne dono hath unke chehre pe rakhe aur unki aankhon me dekhte hue kaha
दुर्भाग्य से इस कहानी की अब तक की गई चर्चा सिर्फ़ इसके कथ्य यानी एक गहरे भावुक प्रेम की त्रासद विडंबना के ही संदर्भ में की गई है और जिसका आधार लहना सिंह और उसकी प्रेमिका के बीच के इस संवाद तक हमेशा समेट दिया जाता है :
वृद्धा को स्थानीय अस्पताल ले जाया गया, जहां पता चला कि उसे निमोनिया है। उसे दवाएँ दी गईं और एंटीबायोटिक्स का कोर्स किया गया, लेकिन उसकी हालत लगातार बिगड़ती गई। वह खाने या पीने में बहुत कमज़ोर थी और मुश्किल से बोल पाती थी। जैसे-जैसे दिन बीतते गए, वृद्धा की हालत बिगड़ती गई।
इसके अलावा रघुवीर सहाय, कुँवर नारायण, श्रीकांत वर्मा ने भी भाषा, बनावट, कथावस्तु, जीवनानुभवों की इतनी अलग और अनमोल कहानियाँ लिखी हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.